आज के वक्त में Digital Loan लेना बेहद आसान हो गया है. डिजिटल तरीके से आप चंद मिनटों में लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं| सरकार ने पिछले कुछ महीनों में देश में बड़े पैमाने पर तेजी से बढ़े कर्ज देने वाले डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप पर लगाम कसने का प्रस्ताव किया है|
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा गठित कार्य समूह ने डिजिटल ऋण को विनियमित करने के लिए कई उपायों का सुझाव दिया है, जिसमें अवैध डिजिटल ऋण गतिविधियों को रोकने के लिए एक अलग कानून, डिजिटल ऋण पारिस्थितिकी तंत्र में प्रतिभागियों को कवर करने वाली खुदाई के सत्यापन के लिए एक नोडल एजेंसी का निर्माण शामिल है.
RBI का फरमान, Digital Loan के बारे में ग्राहकों को डिटेल में बताएंगे बैंक और NBFCs:
रिजर्व बैंक ने कहा है कि ऐसे डिजिटल प्लेटफॉर्म अगर कुछ फ्रॉड करते हैं तो उसके लिए भी बैंक और NBFC जिम्मेदार माने जाएंगे. रिज़र्व बैंक ने Digital Loan एजेंट (Digital lending agent) काम करने वाली ऐसी कंपनियों की गड़बड़ी पर बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) को कड़ी हिदायत दी है |
रिजर्व बैंक ने कहा है कि ऐसे डिजिटल प्लेटफॉर्म अगर कुछ फ्रॉड करते हैं तो उसके लिए भी बैंक और NBFC जिम्मेदार माने जाएंगे. रिजर्व बैंक ने इसके लिए बैंकों और NBFCs को नए-निर्देश जारी किए हैं|
Digital Loan रिजर्व बैंक ने कहा है कि ऐसे डिजिटल प्लेटफॉर्म अगर कुछ फ्रॉड करते हैं तो उसके लिए भी बैंक और NBFC जिम्मेदार माने जाएंगे. रिज़र्व बैंक ने डिजिटल लोन एजेंट (Digital lending agent) काम करने वाली ऐसी कंपनियों की गड़बड़ी पर बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) को कड़ी हिदायत दी है.
रिजर्व बैंक ने कहा है कि ऐसे डिजिटल प्लेटफॉर्म अगर कुछ फ्रॉड करते हैं तो उसके लिए भी बैंक और NBFC जिम्मेदार माने जाएंगे. रिजर्व बैंक ने इसके लिए बैंकों और NBFCs को नए-निर्देश जारी किए हैं|
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आरबीआई वर्किंग ग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की है कि डिजिटल कर्ज लेने वालों के बैंक खातों में सीधे तौर पर छूट दी जानी चाहिए और केवल डिजिटल ऋणदाताओं के बैंक खातों के माध्यम से ही ऋणों का वितरण किया जाना चाहिए.
क्या है RBI Working Group की सिफारिश
उपभोक्ता डेटा की सुरक्षा के प्रयास के रूप में समूह ने सुझाव दिया है कि डेटा संग्रह की अनुमति केवल कर्ज लेने वालों की पूर्व और स्पष्ट सहमति के साथ सत्यापन योग्य ऑडिट ट्रेल्स के साथ दी जानी चाहिए. इसके अलावा, सभी डेटा को भारत में स्थित सर्वरों में संग्रहीत किया जाना चाहिए. Digital Loan
आरबीआई वर्किंग ग्रुप ने यह भी सिफारिश की है कि आवश्यक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल कर्ज में उपयोग की जाने वाली एल्गोरिथम सुविधाओं का दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए. साथ ही, प्रत्येक डिजिटल ऋणदाता को वार्षिक प्रतिशत दर सहित एक मानकीकृत प्रारूप में एक महत्वपूर्ण तथ्य विवरण प्रदान करना चाहिए. Digital Loan
वर्किंग ग्रुप ने यह भी सिफारिश की है कि डिजिटल ऋणों के लिए अवांछित वाणिज्यिक संचार का उपयोग प्रस्तावित एसआरओ द्वारा लागू की जाने वाली आचार संहिता द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए. इसके अलावा, प्रस्तावित एसआरओ द्वारा उधार सेवा प्रदाताओं की एक ‘नकारात्मक सूची’ बनाए रखनी होगी. यह (SRO) आरबीआई के परामर्श से वसूली के लिए एक मानकीकृत आचार संहिता भी तैयार करेगा.

आरबीआई का निर्देश
रिजर्व बैंक (RBI) ने नोटिफिकेशन में कहा है कि बैंक और NBFCs ये साफ-साफ अपनी वेबसाइट पर बताएं कि किन-किन डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए वे लोन बांट रहे हैं. इसी तरह लोन बांटने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए भी ये बताना जरूरी होगा कि किस बैंक या NBFC के एजेंट के तौर पर वे लोन दे रहे हैं. Digital Loan
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इतना ही नहीं ग्राहक को लोन मंजूर होने लेकिन लोन एग्रीमेंट से पहले लोन बांटने वाले बैंक या NBFCs के लेटर हेड पर सैंक्शन लेटर देना होगा. ताकि ग्राहक को साफ-साफ पता रहे कि उसे लोन आखिर कहां से मिला है. Digital Loan
एजेंटों के नाम का खुलासा करें
बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से कहा गया है कि वे अपनी वेबसाइटों अपने एजेंटों के नाम का खुलासा करें इसके अलावा अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म से कहा गया है कि वे अपनी वेबसाइट पर बताएं कि वे किसी बैंक या एनबीएफसी की तरफ से कर्ज दे रहे हैं. Digital Loan

रिपोर्ट में ग्राहकों की सुरक्षा पर जोर
आरबीआई की ओर से गठित वर्किंग ग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में ग्राहकों की सुरक्षा पर जोर दिया। पैनल की ओर से कहा गया कि इस रिपोर्ट का मकसद ऐसी कंपनियों को कानूनी शिकंजे में कसकर ग्राहकों की सुरक्षा को बढ़ाना है। मोबाइल ऐप के जरिए गैरकानूनी तरीके से लोन देने वाली कंपनियों के खिलाफ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के वर्किंग ग्रुप ने कड़े नियम बनाने का प्रस्ताव दिया है। Digital Loan
नोडल एजेंसी बनाने का प्रस्ताव
वर्किंग ग्रुप ने इन ऐप के लिए एक नोडल एजेंसी बनाने का प्रस्ताव दिया है, जो इनका वेरिफिकेशन करेगी। प्रस्ताव में कहा गया कि इंडस्ट्री के सभी स्टेकहोल्डर्स से मिलकर एक नोडल एजेंसी बनाई जाए। इसके साथ ही एक सेल्फ-रेगुलेटरी ऑर्गनाइजेशन (एसआरबो) भी बनाने का सुझाव दिया गया है, जिसमें डिजिटल लेडिंग इकोसिस्टम में मौजूद सभी कंपनियां शामिल हो।
अलग से कानून बनाने का सुझाव
वर्किंग ग्रुप ने डिजिटल लोन से जुड़ी गैर-कानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए अलग से एक कानून बनाने का भी सुझाव दिया है। इसके अलावा कमेटी ने कुछ तकनीक से जुड़े मानक और दूसरे नियम भी तय करने का सुझाव दिया है, जिसका पालन डिजिटल लोन सेगमेंट में उतरने वाली हर कंपनी को करना होगा। वर्किंग ग्रुप ने सभी डेटा को भारत में स्थित सर्वर में ही स्टोर करने की सिफारिश की है। Digital Loan
ग्राहकों को होती है बड़ी परेशानी
वर्किंग ग्रुप ने कहा कि ग्राहकों के हितों की रक्षा सबसे जरूरी है। कई ऐसे मामले देखने को मिले हैं, जिनमें अवैध तरीके से ऐप के जरिए डिजिटल लोन दिए गए और इसके एवज में ग्राहकों से भारी ब्याज वसूला गया। आरबीआई की ओर से जारी बयान में कहा गया कि रिपोर्ट में ग्राहक सुरक्षा को बढ़ाने और इनोवेशन को प्रोत्साहन देने के साथ, डिजिटल लोन के पूरे इकोसिस्टम को सुरक्षित और मजबूत बनाने पर जोर दिया गया है। Digital Loan
कैसे हो रही थी ग्राहकों से मनमानी
रिजर्व बैंक ने बैंकों और NBFCs से कहा है कि फेयर प्रैक्टिस कोड और आउट सोर्सिंग नियमों का उल्लंघन नहीं किया जाए. भले ही वे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लोन बांटें या फिर फिजिकल फॉर्म में. रिजर्व बैंक ने पाया कि डिजिटल प्लेटफॉर्म ये नहीं बताते कि वे किस लेंडर के लिए एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं. ऐसे में ग्राहकों को नहीं पता चलता कि शिकायत कहां करें. भारी भरकम ब्याज वसूली की शिकायत आम है.
ग्राहकों से आई शिकायतों में कहा गया था कि 36 फीसदी तक ब्याज लिया जाता है; पेनाल्टी में भी मोटी रकम वसूली जाती है; प्रोसेसिंग फीस के तौर पर भी अच्छी खासी रकम काट ली जाती है; इस सबके ऊपर 18 फीसदी की दर से GST भी काटा जाता है. Digital Loan
क्या है डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म
दरअसल, आम बैंक से लोन के मुकाबले डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म पर कम रकम का लोन मिलता है; लोन की प्रोसेसिंग बहुत तेज होती है; कई बैंक लोन बांटने के लिए बतौर एजेंट ऐसे मोबाइल अप्लीकेशन वाली कंपनियों का सहारा लेते हैं; जबकि कई NBFCs के खुद के मोबाइल अप्लीकेशन होते हैं; या फिर वे भी किसी और को ग्राहक लाने का काम आउटसोर्स करते हैं.
बदले में मोबाइल अप्लीकेशन कंपनी को कमीशन मिलता है; इसी तरह कर्ज की वसूली की काम भी मोबाइल अप्लीकेशन वाली कंपनियां; रिकवरी एजेंट को देती हैं. कई बार सीधे तौर पर असली लेंडर का पता नहीं चलता; दरअसल, बिना किसी गिरवी के लोन बांटने का ये बिज़नेस हाई रिस्क वाला होता ह;. लेकिन 36 फीसदी तक मोटी ब्याज दर की वजह से इस पर रिटर्न भी उतना ही तगड़ा मिलता है. Digital Loan
मोबाइल लोन ऐप से लोन क्यों
दरअसल, कुछ लोगों की आमदनी कम होने या कई बार अनिश्चित होने से न तो बैं;, न ही लोन कंपनियां कर्ज़ देती हैं; कोई भी बैंक इनको क्रेडिट कार्ड भी देने को तैयार नहीं होता; अगर कोई बैंक लोन देने को तैयार भी हो तो इतने दस्तावेजों और रेफरेंस की शर्त जोड़ देता है |
जबकि मोबाइल ऐप के जरिए लोन देने वाली कंपनियां पैन कार्ड, आधार कार्ड; जैसे बेसिक दस्तावेजों और रेफरेंस लेकर एक घंटे में लोन मंजूर कर खाते में पैसे भेज देती हैं; क्योंकि ऐसे खातों से कमाई भी तगड़ी होती है; लोग कई बार पेमेंट न मिलने; या सैलरी न मिलने या देरी होने पर ऐसे लोन लेते हैं ताकि घर खर्च चला सकें. Digital Loan
डिजिटल लेंडिंग का बाजार
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की रिपोर्ट के मुताबिक, 5 साल में देश में डिजिटल लेंडिंग के लिए; एक लाख करोड़ डॉलर तक का पहुंचने की संभावना है; हालांकि इसमें फिनटेक कंपनियों के अलावा बड़े वित्तीय संस्थानों में डिजिटल पुश का अहम रोल होगा; दरअसल स्मार्टफोन और आधार कार्ड की मदद से डिजिटल लेडिंग के लिए बड़ा मौका खुला है.